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अमेरिका ने किया WHO का हुक्का पानी बंद.

अमेरिका ने किया WHO का हुक्का पानी बंद.

दोस्तों डब्ल्यूएचओ यानी। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन को लेकर बहुत बड़ी खबर आ रही है। क्योंकि अमेरिकी रास्टपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ। को मिलने वाली फंडिंग के ऊपर रोक लगा दी हैl

इसका कारण हैl जब दिसंबर 2019 में डब्ल्यूएचओ ने अपने गलत रिपोर्ट में बताया था। कोरोना वायरस का इतना खतरा नहीं है। और यह human2human ट्रांसफर नहीं। होता लेकिन बाद में human2human में होना शुरू हुआ।

तो फिर भी डब्ल्यूएचओ ने इसके लिए दुनिया को फोन करने और डिटेल निवेश टिकेशन करने की जगह दुनिया से यह कहा। कि परिस्थितियां इतनी भी गंभीर नहीं है। और इस वजह से वह चाइना के ऊपर ट्रैवल बैन लगा जबकि 20 जनवरी 2020 को यह खुद चाइना के कम्युनिस्ट पार्टी के।

ऑफिशियल डॉक्टर ने इस बात को एक्सेप्ट कर लिया था। कि हां इस वायरस का ही human2human ट्रांसफर हो रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी 3 फरवरी 2020 को डब्ल्यूएचओ वालों ने चाइना के ऊपर ट्रैवल बैन लगाने की वकालत की। और इसी वजह से आज की तारीख में पूरी दुनिया में वायरस फैल चुका है।

वायरस के पूरी दुनिया में फैलने की वजह से। यह इतने सारे लोगों की मौत हो गई है। इसके लिए सीधे तौर पर डब्ल्यूएचओ रेस्पॉन्स वाला है। क्योंकि इस एपिडेमिक और पेनडर्म एक वाली सिचुएशन के दौरान ही।

इस ऑर्गेनाइजेशन ने दुनिया के प्रति अपनी जवाबदारी निभाने और अपने नाम को सार्थक करने के बजाय चाणक्य कर्मों को छुपाने। और उसके सुपर पावर बनने वाले सपने को पूरा करने में मदद की। और इसी वजह से आज की तारीख में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका से डब्ल्यूएचओ को मिलने वाली तकरीबन 400 मिलियन डॉलर की फंडिंग के ऊपर पाबंदी लगाई है।

बल्कि यह भी कहा। कि अभी बात की भी डिटेल में रस्टीकेशन होगी कि आखिर। कैसे और क्यों डब्ल्यूएचओ अपनी जवाबदारी को पूरा नहीं कर सका। और सच कहे तो डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम बहुत हद तक सही भी है। क्योंकि जैसा कि असल में दिगंबर नहीं बल्कि नवंबर 2019 में ही चाइना को इस वायरस के बारे में पता चल चुका था। और 31 दिसंबर 2019 आते-आते चाइना के अंदर इतवार के तकरीबन 8:00 के आसपास के लोग वायरस आ चुके थे।

इतना ही नहीं इसके तुरंत बाद चाइना के कुछ डॉक्टर तो हेल्थ ऑफिशल्स जैसे कि डॉक्टर जीने की चाइना की कम्युनिस्ट गवर्नमेंट नहीं मरवा दिया। वह लोग इस चीज के ऊपर बात करने के साथ-साथ इस बात को एविडेंस भी देने लगे हैं। की हाइट वायरस का ही मन ही मन ट्रांसफर हो रहा है इनसाइड 14 जनवरी 2020 को डब्ल्यूएचओ की ऑफिशियल अकाउंट से किया गया यह ट्वीट जिसमें डब्ल्यूएचओ यह कह रहा है।

कि चाइनीस अथॉरिटी द्वारा दी गई इन्वेस्टिगेशन में इस बात की कोई वेवलेंथ नहीं। मिले इस वायरस का ही।

human2human ट्रांसफर हो रहा है। और यही वह मेन कारण है जिसकी वजह से यूरोपियन कंट्रीज में डब्ल्यूएचओ की एडवाइज को काफी लंबे समय तक मानते हुए चाइना और इंटरनेशनल ट्रैवल के ऊपर ट्रैवल बैन हीं लगाया। जिसके नतीजे आज के तारीख में पूरा का पूरा यूरोप भुगत रहा है। यह बात सुनकर आप लोग अपना स्तर फीट लोग एक ही तकरीबन 5 अप्रैल 2020 तक तो इस वायरस को लेकर डब्ल्यूएचओ का यह था। कि अगर आपको देश कोरोनावायरस एंड फैक्टर नहीं हो तो

फिर आपको इस वायरस से बचने के लिए मास्क पहनने की जरूरत नहीं है। मास्क ना पहनने के एडवाइजर्खोज डब्ल्यूएचओ वालों ने दी। इसी वजह से अब यहां यह सवाल खड़ा होता है। कि इस वायरस को लेकर अगर डब्ल्यूएचओ वाले इन्वेस्टिगेशन नहीं। करते और जो रिपोर्ट तो रिवरडेंस आ रहे थे।

उनके ऊपर ध्यान देने की बजाय चाइना की कम्युनिस्ट गवर्नमेंट जो कि अभी भी सच नहीं बोलती है। और हमेशा इंफॉर्मेशन छुपाती है। अगर इसके द्वारा कही गई बातों को मानते हुए फैसले लेना है। तो फिर दुनिया या डब्ल्यूएचओ वालों को फंडिंग क्यों दे एक रिपोर्ट के हिसाब से डब्ल्यूएचओ का ऑफिशियल अब तक कुल मिलाकर 192 मिलीयन डॉलर सिर्फ और सिर्फ ट्रैवल के ऊपर खर्च कर चुके हैं।

मतलब कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ वालों को तकरीबन 400 मिलियन डॉलर की फंडिंग देता है। जिसका आधा पैसा तो इन लोगों ने सिर्फ घूमने फिरने पर ही खर्च कर दिया। तो अब यहां पर हम लोग तो यह सवाल तो पूछेंगे। कि ना कि दुनिया इन लोगों को बीमारी का पता लगाने के लिए पैसा दे रही है। फिर दुनिया घूमने के लिए इतना ही नहीं इस बात को पूरी दुनिया जानती है। और इस बात के सफिशिएंट है। अभी डांस

चीन के कम्युनिस्ट गवर्नमेंट ने पिछली बार यानी कि सांस वाले मामले की तरह इस बार भी दुनिया को नष्ट हुआ मिस इंफॉर्मेशन दी बल के अंधेरे में भी रखा मिलते हैं दोस्तों अगली ही कोरोनावायरस धन्यवाद

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